उड़ाई रातों की नींद – महाराष्ट्र की राजनीति में उलटफेर

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हरियाणा और महाराष्ट्र 2 राज्यों के विधानसभा चुनावों के नतीजे पिछले महीने 24 नवंबर को आए थे तब से लेकर अब तक राजनीति में उथल-पुथल चल रही है। भारतीय जनता पार्टी इन दोनों राज्यों में पूर्ण बहुमत सरकार का दावा पेश कर रही थी और हरियाणा में 75 बार का नारा दे दिया था जिस पर वह सफलता हासिल नहीं कर पाई। हरियाणा में विधानसभा चुनावों में 40 सीटों पर बीजेपी जीत दर्ज कर पाई सत्ता में आने के लिए 45 सीटें आने अनिवार्य थी जिसके लिए बीजेपी दिग्गज नेता की नींद उड़ गई। निर्दलीय व अन्य पार्टियों को अपने साथ मिलाने के लिए तरह-तरह के प्रलोभन भी दिए गए जिसमें वह सफल भी हुए हरियाणा में बीजेपी के अध्यक्ष दुष्यंत चौटाला को उप मुख्यमंत्री बनाकर अपने हिस्से कर लिया इसी के साथ कुछ निर्दलीय नेताओं ने भी बीजेपी को समर्थन दिया। जिसके कारण हरियाणा में बीजेपी सरकार के मनोहर लाल खट्टर को दोबारा मुख्यमंत्री बनने का मौका बना |

बीजेपी को शिवसेना का 50 -50 का था परपोजल

महाराष्ट्र की बात करें तो लगभग एक महीना राजनीति में पूरा उत्तल पुथल चला महाराष्ट्र की कुल 288 सीटों में बीजेपी ने 105 सीटें पर अपनी जीत दर्ज की एनसीपी ने 54 और शिवसेना पार्टी ने 56 सीटों पर जीत हासिल की सरकार बनाने के लिए बीजेपी को 145 विधायकों की जरूरत थी जिसके लिए BJP लगातार प्रयास कर रही थी एनसीपी शुरू से ही कांग्रेस के साथ है इसलिए बीजेपी की नजर शिवसेना के सुप्रीमो उद्धव ठाकरे पर थी । उद्धव ठाकरे ने 50- 50 की शर्त रखते हुए पूरे कार्यकाल में से ढाई साल बीजेपी मुख्यमंत्री रहेगी और ढाई साल शिवसेना के प्रतिनिधि मुख्यमंत्री रहेंगे । इस पर देवेंद्र फडणवीस ,अमित शाह व अन्य बीजेपी नेताओं ने सहमति नहीं जताई जिसकी वजह से महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लागू करना पड़ा। लगभग 1 महीने से सभी राजनीति पार्टियां एक दूसरे से मीटिंग कर सरकार बनाने के चक्कर में कई रणनीतियां बना रही थी

 

जब राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी , शिवसेना और कांग्रेस हुए एक तो बनी फ़िल्मी स्टोरी

मीडिया में जैसे ही राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी , शिवसेना और कांग्रेस की मिलकर सरकार बनाने की खबर चर्चा में आई तो भारतीय जनता पार्टी की नींद उड़ गई अब सरकार कैसे बनायीं जाए इसके लिए प्लान बनने लगे। एनसीपी के विधायकों को अपनी तरफ मिलाने के लिए बीजेपी लीडर एड़ी चोटी का जोर लगाने लगे। आखिर शरद पवार के भतीजे अजीत पवार को उपमुख्यमंत्री का प्रलोभन देकर अपनी तरफ मिला लिया और समर्थक लेकर सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया रातों-रात ऐसी रणनीति बनाई कि रात 1:00 बजे राष्ट्रपति शासन हटवा दिया और सुबह सूर्य उदय से पहले देवेंद्र फडणवीस को दोबारा से मुख्यमंत्री की शपथ दिला दी और अजीत पवार को उप मुख्यमंत्री की शपथ दिलाई। इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी मानवाधिकार का प्रयोग किया। मात्र 10 घंटे में ही ऐसी रणनीति अपनाकर महाराष्ट्र की राजनीति में उलटफेर कर दिया | शिवसेना अध्यक्ष उधव ठाकरे देखते रह गए और एनसीपी और भाजपा ने मिलकर गठबंधन सरकार बना ली

कांग्रेस के आरोप HC में याचिका दायर

कांग्रेस ने इस बात का विरोध किया और इस दिन को काला दिवस मना रही है शिवसेना के उद्धव ठाकरे ने बीजेपी पर आरोप लगाया कि “अजीत पंवार को ब्लैकमेल करके अपनी तरफ मिलाया गया है और कहा कि महाराष्ट्र के साथ सर्जिकल स्ट्राइक है” कांग्रेस नेता अहमद पटेल ने कहा कि बीजेपी ने कहा कि “बीजेपी ने चोरी-छिपे सरकार बनाकर संविधान की धज्जियां उड़ा दी हैं” एनसीपी कांग्रेस और शिवसेना मिलकर 154 विधायक से गठबंधन सरकार बनाने का दावा पेश कर रही है और भाजपा के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की है जिसकी सुनवाई कल हुई हाईकोर्ट ने फड़नीस को 30 नवंबर तक पूर्ण बहुमत साबित करने को कहा है | उधर एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार ने अजीत कुमार को पार्टी से विधायक दल का नेता हटाकर दिलीप वलसे पाटील को बनाया गया है अब अगर 30 नवंबर को फडणवीस बहुमत साबित ना कर पाए तो अजीत कुमार कुर्सी से भी जाएंगे और चाचा शरद पंवार से भी जाएंगे | क्योकि अजीत पवार ने अपने फायदे के लिए भाजपा के प्रलोभन में आकर बीजेपी को एनसीपी विधायकों का समर्थन दे दिया जिसके कारण महाराष्ट्र सरकार की राजनीति में उलटफेर हो गया रातों-रात राष्ट्रपति शासन को हटवा कर सूर्य उदय होने से पहले फडणवीस को मुख्यमंत्री और अजीत पवार को उपमुख्यमंत्री की शपथ दिला दी

खून ने दिखाया रंग

कुछ शीर्ष नेताओं की टिप्पणी भी है कि खून रंग दिखा रहा है कुर्सी के लालच में किसी जमाने में शरद पंवार ने भी ऐसा किया था जैसा आज अजीत पंवार ने किया है | उधर शरद पंवार ने अजीत पंवार पर पलटवार करते हुए उन्हें एनसीपी से निकाला निकाल दिया गया और उसकी जगह दिलीप वलसे पाटील को विधायक दल का नेता बनाया गया शरद पवार ने यह भी कहा कि अजीत पंवार के पास सिर्फ 8 से 10 विधायक ही हैं यह ना घर का ना रहेगा ना घाट का क्योंकि 30 नवंबर तक शरण फडणवीस बहुमत साबित नहीं कर पाएंगे और सरकार गिरते ही अजीत पंवार कुर्सी फिर जाएंगे और पार्टी से भी

उधर अजीत पंवार ने यह कहा कि मैं एनसीपी पार्टी का नेता हूँ और रहूंगा शरद पंवार हमारे नेता रहेंगे |

एक दिन के लिए कशमकश और बढ़ गयी है क्योकि बहुमत पर कल SC अपना फैसला ब्यान करेगा |

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