2019 के चुनावों को लेकर सभी पार्टियां कमर कस चुकी हैं। इस दौड़ में सपा और बसपा ने भी अपना दांव चल ही दिया। बसपा सुप्रीमो मायावती ने सपा से अपने गठबंधन का ऐलान कर दिया। सबसे दिलचस्प बात यह है कि इस गठबंधन से दोनो ही पार्टियों ने कांग्रेस को दरकिनार कर दिया जिससे कांग्रेस को करारा झटका लगने की प्रबल संभावना है। कांग्रेस को गठबंधन में शामिल ना किये जाने की बात पर मायावती ने कहा कि उन्हें कांग्रेस के गठबंधन में शामिल करने से कोई फायदा नहीं होता बल्कि उनके अपने वोट बैंक पर ही इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि राज्य की 80 लोकसभा सीटों में से सपा और बसपा 38-38 सीटों पर चुनाव लड़ेंगी। अमेठी और रायबरेली की सीट कांग्रेस के लिए छोड़ दी गई है तथा अन्य दो सीटें अन्य पार्टियों के लिए रखी गई हैं। दोनो पार्टियों में यह गठबंधन पहली बार नहीं हुआ है बल्कि बल्कि 26 साल पहले 1993 में भी दोनो पार्टियां एक साथ मैदान में उतरी थी।
दो वर्ष तक दोनो पार्टियों के बीच सबकुछ ठीक रहा लेकिन 1995 में हुए गेस्ट हाउस कांड के बाद यह महागठबंधन टूट गया था। इस बार मायावती ने निश्चित किया है कि यह गठबंधन लम्बा चलेगा तथा उत्तरप्रदेश के विधानसभा चुनावों में भी यह गठबंधन कायम रहेगा। उन्होंने भाजपा पर प्रहार करते हुए कहा कि आज देश की सवा सौ करोड़ जनता भाजपा की वादाखिलाफी से जूझ रही है।उसकी किसान-व्यापारी विरोधी नीतियों, अहंकारी और तानाशाही रवैये से सब लोग दुखी हैं। इसलिए सपा और बसपा ने जनहित को सर्वोपरि रखकर एकजुट होने का फैसला किया है। भाजपा को रोकने के लिए ही इस महागठबंधन के निर्णय लिया गया है। अब देखना यह है कि आखिर यह गठबंधन क्या रंग दिखाता है और जनता पर किसका जादू ज्यादा चल पाता है।