जातिवाद की खाई को कम करने हेतु तथा अमीरी गरीबी के अनुपात को कम करने के लिए सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को सरकारी नौकरियों तथा शैक्षणिक संस्थानों में 10 प्रतिशत आरक्षण के बिल को राष्ट्रपति कोविंद की मंजूरी मिल गई और इस बिल ने अब कानून का रूप ले लिया है। गौरतलब है कि सरकारी नौकरियों में आरक्षण को लेकर समय-समय पर देशभर में आंदोलन चलते रहे जिसकी भरपाई भी देशभर को करनी पड़ी। अब मोदी जी के कुशल नेतृत्व ने इस समस्या का जो समाधान निकाला वो वास्तव काबिले तारीफ है। शीतकालीन सत्र में गरीब सवर्णों को आरक्षण देने वाला विधेयक पिछले बुधवार राज्यसभा में भी पास हो गया। लोकसभा और राज्यसभा दोनो सदनों में इस बिल का पास होना एक ऐतिहासिक जीत है।
अब युवा शक्ति को ना केवल अपनी योग्यता सिद्ध करने के अवसर प्राप्त होंगे बल्कि इससे देश की आर्थिक और सामाजिक स्तर पर भी व्यापक बदलाव आएगा। यह पहली बार देखने में आया है कि कोई बिल दो दिनों से भी कम समय में दोनो सदनों में निर्विघ्न पास हो गया। इस बिल के पक्ष में 165 और विपक्ष में केवल सात वोट पड़े। इस चुनावी दौर में विपक्ष के पास भी इस विधेयक को नामंजूर करने का कोई भी विकल्प दिखाई नहीं दिया। विपक्ष ने अपनी बात रखते हुए इतना अवश्य कहा कि वे बिल के खिलाफ नहीं बल्कि जिस प्रकार बिल पेश किया गया उसके खिलाफ हैं। कपिल सिब्बल ने खुलकर अपना विरोध जताते हुए यह कहा कि अगर सरकार को 8 लाख की कमाई करने वाला गरीब लगता है तो उसकी आय से टैक्स भी हटा लेना चाहिए। महत्त्वपूर्ण यह है कि इस चाहे कोई कुछ भी कहे लेकिन इस महत्त्वपूर्ण फैसले पर पूरा देश में खुशी की लहर है और हर कोई मोदी जी की तारीफ कर रहा है।