Maharishi Valmiki birth anniversary will be observed on October 13

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Maharishi Valmiki birth anniversary will be observed on October 13

13 अक्‍टूबर को मानई जायगी महर्षि वाल्‍मीकि की जयंती

हिन्‍दुओं के आदि काव्‍य रामायण के रचयिता और संस्‍कृत भाषा के परम ज्ञानी महर्षि वाल्‍मीकि (Maharishi Valmiki) के जन्‍म दिवस को देश भर में हर्षोल्‍लास के साथ मनाया जाता है. कहा जाता है कि वैदिक काल के महान ऋषियों में से एक वाल्‍मीकि पहले एक डाकू थे, लेकिन फिर ऐसी घटना घटित हुई जिसने उनको बदलकर रख दिया. वाल्‍मीकि का व्‍यक्‍तित्‍व असाधारण था. यह उनके चरित्र की महानता ही है जिसने उन्‍हें इतना बड़ा कवि बनाया. उनका जीवन और चरित्र आज भी लोगों के लिए प्रेरणादायी है. देश भर में महर्षि वाल्‍मीकि की जयंती (Valmiki Jayanti) पर कई तरह के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है

कब मानई जाती है वाल्‍मीकि की जयंती

अश्विन मास के शुक्‍ल पक्ष की पूर्णिमा यानी कि शरद पूर्णिमा को महर्षि वाल्‍मीकि का जन्‍म हुआ था. इस बार वाल्‍मीकि जयंती 13 अक्‍टूबर को है. वाल्‍मीकि जयंती देश भर में धूम-धाम और हर्षोल्‍लास के साथ मनाई जाती है. इस मौके पर मंदिरों में पूजा-अर्चना कर वाल्‍मीकि जी की विशेष आरती उतारी जाती है. साथ ही वाल्‍मीकि जयंती की शोभा यात्रा भी निकाली जाती है, जिसमें लोग बड़े उत्‍साह से भाग लेते हैं. इस दिन रामायण का पाठ और राम नाम का जाप करना बेहद शुभ माना जाता है.

कौन थे म‍हर्षि वाल्‍मीकि?

पौराणिक कथाओं के मुताबिक, महर्षि वाल्मीकि ( Maharishi Valmiki ) का जन्म महर्षि कश्यप और अदिति के नौवें पुत्र वरुण और उनकी पत्नी चर्षणी के घर हुआ था. इनके भाई का नाम भृगु था. कहते हैं कि बचपन में एक भीलनी ने वाल्‍मीकि को चुरा लिया था इसलिए उनका पालन-पोषण भील समाज में हुआ और वे डाकू बन गए. वाल्‍मीकि बनने से पहले उनका नाम रत्‍नाकर था और परिवार के भरण-पोषण के लिए जंगल से गुजर रहे राहगीरों को लूटते और जरूरत पड़ने पर उन्‍हें जान से भी मार देते थे.

मान्‍यता है कि एक दिन उसी जंगल से नारद मुनि जा रहे थे. तभी रत्‍नाकर की नजर उन पर पड़ी और उसने उन्‍हें बंदी बना लिया. इस पर नारद मुनि ने उससे सवाल किया कि तुम ऐसे पाप क्‍यों कर रहे हो. रत्‍नाकर का जवाब था कि वह यह सब अपने परिवार के लिए कर रहा है. ऐसा जवाब सुनने के बाद नारद ने पूछा, “क्‍या तुम्‍हारा परिवार भी इन पापों का फल भोगेगा.” रत्‍नाकर ने तुरंत जवाब दिया ”हां, मेरा परिवार हमेशा मेरे साथ खड़ा रहेगा.” नारद मुनि ने कहा कि एक बार जाकर अपने परिवार से पूछ लो. रत्‍नाकर ने जब अपने परिवार से पूछा तो सबने मना कर दिया. इस बात से रत्‍नाकर का मन बेहद दुखी हो गया और उसने पाप का रास्‍ता छोड़ दिया।

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