आज शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती योगी सरकार के खिलाफ खुलकर बोले। उन्होंने कहा कि धर्म संसद का उद्देश्य देश की दशा और दिशा पर विचार करना है किसी सत्ता का गठन करने नहीं। गौरतलब है कि काशी की पवित्र धरती पर चल रही तीन दिवसीय धर्म संसद के दूसरे दिन भी सभी एक स्वर में राम मंदिर बनवाने की बात कर रहे थे। काशी में आयोजित हो रही धर्म संसद में भाग लेने देश विदेश से धर्म सांसद एकत्रित हुए हैं जिन्होंने प्रबुद्ध स्वर में जयघोष लगाते हुए कहा कि सौ करोड़ सनातनियों के होते हुए भी यदि रामलला को तंबू में रहना पड़ रहा है तो इससे बड़ा घोर अपमान कोई और हो ही नहीं सकता। वहीं सभी धर्माचार्यों ने यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा प्रस्तावित भगवान राम की सबसे ऊंची प्रतिमा के विषय पर निंदा प्रस्ताव पारित किया।
राम मंदिर के मुद्दे के साथ-साथ ही दूसरे सत्र में मंदिर रक्षा विधेयक , धर्मांतरण विधेयक, वैदिक पद्धति तथा गंगा संरक्षण जैसे विषयों पर भी गहन विचार विमर्श हुआ। राजेन्द्र डिंगज जो जलपुत्र के नाम से विख्यात हैं , उन्होंने प्रदेश सरकार द्वारा राम की प्रतिमा के निर्माण के विषय पर निंदा प्रस्ताव रखा, जिसका सभी ने करतल ध्वनि से जोरदार समर्थन किया। उन्होंने कहा कि जहां पूरे देश के सनातनी राम मंदिर के लिए एकजुट होकर कटिबद्ध खड़े हैं वहां राम प्रतिमा की बात हमारी भावनाओं से खिलवाड़ है।
सभी ने अपनी अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि बड़ी ही दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है कि भगवान को भी न्याय के इंतज़ार में तंबू में निवास करना पड़ रहा है। रसिक पीठाधीश्वर महंत जन्मजेय शरण ने कहा कि अब निश्चित समय आ गया है जब सब सनातनियों को शंकराचार्य के नेतृत्व में खड़े होकर भव्य राम मंदिर के निर्माण में अपनी आहुति डालनी होगी।