एक तीर कई निशाने – योगी सरकार

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ek teer kaee nishaane – yogee sarakaar

UP सरकार ने विधानसभा चुनाव में होने वाले संभावित नुक्सान को पूरा करने के लिए 17 जातियों को SC कोटे में डालने का निर्णय लिया है| UP में इन 17 जातियों की आबादी कुल आबादी के लगभग 14 फीसदी है जिस का बीजेपी सरकार को भरपूर लाभ मिलेगा| इन अति पिछड़ी जातियों को SC दर्जा देकर 14 फीसदी वोटबैंक अपनी तरफ करने की कोशिश में है|

ऐसा करके योगी सरकार समझ रही है कि लोकसभा चुनाव के दौरान अलग हुई पार्टी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (एसबीएसपी) से विधानसभा चुनाव में वोटर एसबीएसपी कि तरफ झुकाव ना करके बीजेपी कि पकड़ ज्यादा मजबूत हो तब ये घोषणा कि गयी है तांकि वोट एसबीएसपी कि बजाय बीजेपी को आ जाएँ|

इनको मिला SC का दर्जा

योगी सरकार ने निषाद, बिंद, मल्लाह, केवट, कश्यप, भर, धीवर, बाथम, मछुआरा, प्रजापति, राजभर, कहार, कुम्हार, धीमर, मांझी, तुरहा और गौड़ इन 17 जातियों को SC का दर्जा दिया है जिसकी आबादी कुल आबादी के करीब 13.63 फीसदी है। विधानसभा चुनावों में इन जातियों का एक तरफ़ा झुकाव जीत कि दिशा को बदल सकता है | इन 17 जातियों में 13 निषाद जातियों की आबादी 10.25 फीसदी है। वहीं कुम्हार 1.84, गोंड़ 0.22 और राजभर 1.32 फीसदी है फीसदी और फीसदी हैं। काफी लम्बे आरसे से मांग करते आ रहे थे जिसे योगी सरकार ने मान कर अपनी तरफ खींचने का प्रयास किया है|

मिलेगा भरपूर लाभ

योगी सरकार के इस फैसले का भरपूर लाभ मिलेगा इससे एसपी और बीएसपी को भी नुक्सान झेलना पद सकता है| लोकसभा चुनाव में बीजेपी इन दोनों पार्टियों के गठबंधन को देख चुकी है। हालांकि, इनके गठबंधन का बीजेपी पार्टी को नुक्सान नहीं हुई पर इस निर्णय से पार्टी की और मजबूती बढ़ गयी है| एसपी और बीएसपी दोनों पार्टियों ने इन जातियों को पहले भी अनुसूचित जाति में शामिल करने की नाकाम कोशिश की है| 2005 में मुलायम सरकार ने इन जातियों के लिए एक आदेश जारी किया था, पर हाई कोर्ट ने इस पर रोक लगा दी। फिर प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा गया पर मुलायम सरकार कामयाव ना हो सकी।सत्ता में आने पर मायावती सरकार ने 2007 में इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया गया। इस मुद्दे को लेकर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को पत्र लिखा पर किसी को भी कामयाबी हासिल ना हो सकी| 2016 में विधानसभा चुनाव से पहले अखिलेश यादव ने भी इन 17 अतिपिछड़ी जातियों को एससी में शामिल करने के प्रस्ताव को कैबिनेट से मंजूरी भी दिलवा दी| इस फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी और केंद्र सरकार के सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय में जाकर अटक गया था।

बड़ी आसानी से योगी सरकार ने इस श्रेय के ताज को बीजेपी के सिर रखवा दिया जिस का फायदा आने वाले विधानसभा चुनावो में देखने को मिलेगा|

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