नई दिल्ली की ‘शिल्पकार’ पूर्व मुख्यमंत्री पंचतत्व में विलीन

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कांग्रेस पार्टी से सबंध रखने वाली और सबसे ज्यादा लम्बे समय तक दिल्ली के मुख्यमंत्री का पद सँभालने वाली पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित 20 जुलाई को पंचतत्व में विलीन हो गयी| 19 जुलाई 2019 को अचानक हुए दिल के दौरे की वजह से उन्हें Fortis Escorts Heart Institute में दाखिल करवाया गया | उन्हें कुछ देर के लिए वेंटीलेटर पर रखा गया पर वो दिल के दौरे से उभर नहीं पायी और 20 जुलाई 2019 दोपहर 3:55pm पर उन्होंने आखरी साँस ली |

जीवन और उपलब्धि

81 वर्षीय शीला दीक्षित का जन्म पंजाब के संजय कपूर जो की खत्री परिवार में जिला कपूरथला में 31 मार्च 1938 को हुआ | शीला दीक्षित ने अपनी पढ़ाई दिल्ली के जीसस एंड मेरी स्कूल से पूरी की है जबकि मिरांडा हाउस से इतिहास में ग्रेजुएशन की है। उनकी शादी श्री विनोद दीक्षित से हुई जिससे उनके एक पुत्तर संदीप दीक्षित है जो की 15वीं लोकसभा के सदस्य है एक बेटी लतिका सयद है | वो 1998 से 2013 तक 3 बार दिल्ली की मुख्यमंत्री बनी और कांग्रेस को जीत दिलाई | 2013 के विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी के अरविन्द केजरीवाल शीला दीक्षित को हरा दिया । शीला दीक्षित 11 मार्च 2014 को केरल की गवर्नर बनी पर लगभग 5 महीने बाद ही 25 अगस्त 2014 को इन्होंने गवर्नर पद से इस्तीफा दे दिया। यूपी विधानसभा चुनावों में भी शीला दीक्षित को कांग्रेस की ओर से मुख्यंमत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया लेकिन उन्होंने स्वयं अपना नाम वापिस ले लिया | इसके इलावा इन्होने 2004 में केरल के राज्यपाल के रूप में कार्यभार भी संभाला।

श्रद्धांजलि के रूप में

जैसे ही शीला दीक्षित जी की दुनिया से अलविदा होने की खबर फैली कांग्रेस की मानो रीड की हड्डी टूट गयी हो | कांग्रेस कार्यकर्ताओं को विधानसभा चुनावो से पहले ये बहुत बड़ा झटका लगा था | कार्यकर्ताओं के सहित विपक्षी पार्टियों ने भी गहरा दुःख जताया है | शीला दीक्षित का पार्थिव शरीर मुख्यायल में रखा गया जहाँ श्रद्धांजलि देने वालो का सिलसिला जारी हो गया | जिसके लिए यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी वहां पहुंचीं। यहाँ सोनिया गाँधी जी ने शीला को बड़ी बहिन कह कर सम्बोधित किया और कहा की शीला दीक्षित सिर्फ कांग्रेस नेता नहीं बल्कि दोस्त और बड़ी बहन थी | दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने नमन करके शीला दीक्षित को श्रद्धांजलि दी | राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अपने ट्वीट के माध्यम से शीला जी को श्रद्धांजलि दी। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी वहां पहुँच कर पार्थिव शरीर को नमन कर श्रद्धांजलि दी। इसके साथ साथ कई बड़ी हस्तियों ने भी दिल्ली की पूर्व सीएम को अशुरुपूर्ण श्रद्धांजलि दी।

दिल्ली के निगम बोध घाट पर रविवार की दोपहर को कांग्रेस नेता दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित का राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। उनके संस्कार में देश के दिग्गज नेता और बड़ी बड़ी हस्तिया शामिल थी |

अड़चनों के साथ मुकाबला कर दिल्ली को दी क्या क्या सौगात

इन्फ्रास्ट्रक्चर पर फोकस

दिल्ली के लिए शीला दीक्षित का मुख्यमंत्री बनना किसी करिश्मे से कम नहीं हुआ क्योकि दिल्ली की दशा बदनले में शीला दीक्षित जी ने कोई कसर नहीं छोड़ी | इन 15 साल के कार्यकाल में उन्होंने राजधानी के इन्फ्रास्ट्रक्चर को सुधारने पर पूरा फोकस किया | दिल्ली के रूप को बदलने के लिए फ्लाइओवर और मेट्रो को पूरी दिल्ली में बिछा दिया और दिल्ली का नक्शा ही बदल कर रख दिया | इन्होने अपने कार्यकाल में 70 फ्लाइओवरों का निर्माण करवाया | जिसके कारण रिंगरोड के पर बिना सिग्नल के ट्रांसपोर्ट चलने लगे | केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार थी फिर भी इनके सत्ता में आने के पर मेट्रो प्रोजेक्ट रफ़्तार पकड़ गया | 1998 में शुरू मेट्रो का काम शुरू हुआ 2002 में दिल्ली में पहली मेट्रो चली| अब तक लगभग 350 किलोमीटर लंबे नेटवर्क के साथ दिल्ली मेट्रो विश्व भर में टॉप कि 10 मेट्रो सर्विसेज में शामिल है |

पब्लिक ट्रांसपॉर्ट की रफ़्तार

इसके साथ साथ उन्होने पब्लिक ट्रांसपोर्ट के लिए CNG बसों और ऑटो को बढ़ावा दिया जिससे दिल्ली प्रदूषण रहित हो सके| उन्होंने बस रैपिड ट्रांसपॉर्ट सिस्टम (बीआरटीएस) जैसे सिस्टम के लिए कई बार योजना तो बनाई लेकिन उसे पूरी तरह से लागू नहीं कर सकीं। इसके इलावा पब्लिक ट्रांसपॉर्ट को रफ़्तार में करने के लिए उन्होंने बीआरटी के आंबेडकर नगर से कॉरिडोर का निर्माण करवाना शुरू किया तांकि लोग अपनी गाड़ियों की बजाय पब्लिक ट्रांसपोर्ट ज्यादा इस्तेमाल करे पर इस कॉरिडोर बनने के दौरान इतना जाम लगने लग गया की उन्हें इस के लिए आलोचनाओं का भी सामना करना पड़ा जिससे पहला ही कॉरिडोर कामयाब नहीं हो सका जिससे उनको इस प्रोजेक्ट से पीछे हटना पड़ा| इसके इलावा सब से बड़ी चूनौती ब्लू लाइन बसों कि थी जिसको हटा कर cng बसों को दिल्ली कि सड़को पर उतारा जिससे प्रदूषण की समस्या कुछ हद तक कम हुई |

देश की महा नदी यमुना सफाई

शीला दीक्षित ने यमुना सफाई पर बहुत जोर देती रहीं जिसके लिए वो अक्सर टेम्स नदी का उदाहरण देती थी जिसके लिए उन्होंने फंडिंग का भी ऐलान किया जिसके कारण यमुना नदी की सफाई के लिए कुछ कार्य शुरू कराने की कोशिश की पर पडोसी राज्यों के समर्थन के आभाव के कारण उनका ये सपना भी पूरा ना हो सका |

एक छोर से दूसरे छोर का कॉरिडोर

शीला दीक्षित की इच्छा थी कि दिल्ली के एक किनारे से दूसरे किनारे तक जाने के लिए एलिवेटिड रोड बननी चाहिए। अपनी इस इच्छा को पूरी करने के लिए बारापूला नाले पर रोड बनाई भी गई। मयूर विहार से पश्चिमी दिल्ली तक रोड बनाने कि इच्छा थी योजना कि घोषणा भी हूँ कागजो में भी योजना को लागु कर दिया गया पर डीयूएसी ने आपत्ति जता कर काम रुकवा दिया गया क्योकि उन्हें ये लगता था कि इससे प्राइवेट गाड़ियों को फायदा होगा इसलिए चीफ सेक्रटरी ने एलिवेटिड रोड पर बसें ही चलाने का जोर लगाया दूसरी और रेलवे की मिंटो ब्रिज की आपत्ति कि वजह से भी काम में रुकावट आई | जिसके कारण ये योजना फाइलों में दब कर रह गयी और बाहर नहीं निकल पायी |

हार्दिक इच्छा सिग्नेचर ब्रिज

शीला दीक्षित की हार्दिक इच्छा था कि वजीराबाद के पास सिग्नेचर ब्रिज पुल पर एक टावर हो, जहां से पूरी दिल्ली को देख सकें लोगो को आकर्षित करने का पॉइंट बने और इसके नजदीक के एरिया में पिकनिक स्पॉट भी बनाये जाये जिससे देश विदेशी पर्यटक देखने आये तो दिल्ली कि शोभा और इनकम दोनों में इजाफा होगा पर कांग्रेस पार्टी के ही नेताओं ने इसका विरोध किया जिसके कारण ये प्रॉजेक्ट पूरा नहीं हो सका।

राजीव रत्न फ्लैट

शीला दीक्षित सरकार ने राजीव रत्न आवास नामक योजना चलाई जिसके तहत फ्लैट तैयार करवाए गए पर केंद्र और दिल्ली सरकार की ब्यूरोक्रेसी के आपसी मतभेद के कारण उन्हें आगे अलॉट नहीं किये गए | जिसके लिए आवेदन भी लिए गए पर अलॉटमेंट नहीं हो सका।

शीला दीक्षित हर कार्य को अपनी देख रेख में करती थी और दिल्ली के लिए हर छोटी बड़ी चीज को खुद पसंद करती थी | कॉमनवेल्थ गेम्स के लिए एसी बसों की सिफारिश की थी और उसके रंग को भी लन्दन की सड़को पर चलने वाली चेरी रंग की बस जैसा होने का प्रस्ताव रखा था तब इसका विरोध भी किया गया कि दिल्ली में एसी बसों की बजाय सामान्य बसें लाई जाएं पर श्री मति दीक्षित ने दिल्ली वालो के लिए AC बस में सफर करने का हक़ बताया |

 

शीला दीक्षित का राजनीती करने का अपना अलग अंदाज था जिस तरह विपक्षी पार्टी एक दूसरे को निचा दिखने का काम करते है पर इन्होने कभी ऐसा नहीं किया हमेशा अपनी राजनीति का स्तर ऊंचा बनाये रखा |

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