जीतने का मजा तभी है, जब सब आपके हारने की उम्मीद करते हैं प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की फिल्म का यह डायलॉग फिल्म की सारी कहानी ब्यान कर देता है| महज 50 दिनों में तैयार इस फिल्म को पहले 11 अप्रैल को रिलीज़ करना था पर विपक्ष पार्टियों के विरोध के चलते चुनाव आयोग ने अचारसहिंता के नियम के कारण इस फिल्म को 23 मई तक रिलीज़ ना करने का फैसला लिया| चुनाव से पहले ही फिल्म निर्माता ने फिल्म के पोस्टर से पीएम नरेंद्र मोदी की वापसी मतलब जीत की भविष्यवाणी कर दी थी|
इस फिल्म में पीएम नरेंद्र मोदी के बचपन से लेकर प्रधानमंत्री बनने तक के जीवन को फिल्माया गया है| फिल्म की शुरआत 2013 में बीजेपी की हुई बैठक से होती है जहाँ उन्हें प्रधानमंत्री का उम्मीदवार घोषित किया जाता है| इसके बाद फ़्लैश बैक में जीवन की अन्य गतिविधियों को पेश किया गया है| इस फिल्म में विवेक ओबरॉय ने नरेंद्र मोदी का रोल बखूबी निभाया है|
निर्देशक उमंग कुमार ने पहले भी मैरी कॉम’ और ‘सरबजीत जैसी बायोपिक्स बना चुके हैं, इस फिल्म को भी अपने अंदाज में मोदी के जीवन को बखूबी पेश किया है और कई अनछुए पहलु को भी दर्शाया गया है|
इस फिल्म की अवधि 2 घंटा 16 मिनट की ये फिल्म BJP के वोटरों की तरह जलवा ना दिखा पायी जिस तरह लोकसभा चुनावो में पूरे देश में मोदी लहर चली थी उसके सामने ये आंकड़ा बौना सा महसूस होता है| जैसे किंग खान की फ़िल्में पहले चार दिनों में 200 करोड़ का आकड़ा पार कर जाती हैं, प्रधानमंत्री जी की लोकप्रियता को देखते हुए ऐसे लग रहा था कि यह फिल्म सभी रिकॉर्ड तोड़ देगी लेकिन महज 4 दिन में 13 करोड़ 56 लाख की कमाई कर पायी|