एक अच्छी पहल – मोदी सरकार

0
688
Protection-of-Children

जैसे जैसे साइंस तरक्की कर रही है वैसे वैसे हर दिन कुछ ना कुछ नई तकनीक विकसित हो रही है| इसके साथ साथ अपराध में भी बढ़ोतरी हो रही है | हर रोज हजारों मामले दर्ज होते जाते है जिससे हर पुलिस स्टेशन, कोर्ट में कागजो के ढेर लगे हुए है| कुछ तो ऐसे भी है जिनसे कभी मिटटी नहीं झड़की| बहुत से केस लम्बे टाइम से चलते आ रहे है| इन सब के चलते सरकार ने कुछ बेहतर कदम उठाये है अब यौन उत्पीड़न और बाल आपराधिक मामलो के लिए फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट बनाने का प्लान है |

18 राज्यों में होगी शुरुआत-

देश भर में पॉक्सो एक्ट के तहत ऐसे 18 राज्यों को चुना गया है | जिनमे यौन उत्पीड़न और बाल आपराधिक वाले केस कम समय में निर्णय पर पहुंचेंगे| इसके लिए महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने 1023 फास्ट ट्रैक खोलने के प्रस्ताव को मंजूरी भी दे दी है | प्रस्ताव के मुताबिक महाराष्ट्र, त्रिपुरा, पश्चिम बंगाल, मेघालय, झारखंड, आंध्रप्रदेश, बिहार, मणिपुर, गोवा, मध्यप्रदेश, कर्नाटक, मिजोरम, छत्तीसगढ़, राजस्थान, उत्तराखंड, तमिलनाडु, असम और हरियाणा शामिल हैं। 18 राज्यों में फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाए जाने हैं।

 

बजट का दायरा –

ये सभी विशेष अदालते आने वाले एक साल के अंदर काम करने लगेंगी| विशेष अदालतों के लिए अनुमानित खर्च 700 करोड़ होगा जिसमे केंद्र सरकार और राज्य सरकार दोनों मिलकर इस खर्चे को वहन करेगी| केंद्र सरकार 474 करोड़ रुपए और राज्य सरकारें 226 करोड़ इस बजट में खर्च करेंगे। फास्ट कोर्ट को चलाने के लिए प्रतेक अदालत में करीब 75 लाख रूपए सालाना खर्च होगा | गृह मंत्रालय को इन सभी की जिम्मेदारी सौंपी गयी है और कानून मंत्रालय हर तीन महीने में हर कोर्ट की सुनवाई की रिपोर्ट तैयार करेगा। फिलहाल, देश में 664 फास्ट ट्रैक कोर्ट काम कर रही हैं।

पॉक्सो एक्ट में किया था संसोधन –

2012 में भी पॉक्सो एक्ट में संसोधन किया गया था जिस में बाल अपराधों से जुड़े दोषियों को मौत की सजा और कठोर दंड का प्रावधान था | नेशनल क्राइम रिकॉर्ड के मुताबिक 2016 तक देशभर में दुष्कर्म के 1 लाख 33 हजार केस बिना निर्णय के चल रहे है | इस में पॉक्सो एक्ट के 90205 केसों की सुनवाई लम्बे समय से किसी निर्णय तक नहीं पहुंची है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here