शिवरात्रि पर्व का महत्त्व। क्यों मनाते हैं हम शिवरात्रि।
शिव सत्य है, शिव सुंदर है, शिव शास्वत है, शिव निराकार भी है और साकार भी। देवों के देव महादेव जिस पर प्रसन्न हो जाएं तो उसकी तकदीर बदल दें और जिस पल उनका तीसरा नेत्र खुल जाए प्रलय का आना सुनिश्चित है। इन्हीं आदिदेव महादेव का पर्व महाशिवरात्रि फाल्गुन मास के महीने में आता है। इस दिन पूरा भारत शिवमय हो जाता है। पूरा दिन मंदिरों में भारी भीड़ रहती है और जलाभिषेक होता है।
महत्त्व या शिवरात्रि की कहानी
पौराणिक कथाओं के अनुसार माना जाता है कि शिवरात्रि के दिन महादेव एक ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट हुए थे जिसका ना कोई आदि था ना ही कोई अंत। इस ज्योतिर्लिंग के रहस्य को जानने के लिए ब्रह्मा जी ने हंस का रूप धारण किया औऱ इसके अंत का पता लगाने के लिए ऊपर की ओर गए लेकिन बीच में हार मानकर वापिस लौट आए तो भगवान विष्णुजी ने वाराह का रूप धारण कर उनका आधार जानने की कोशिश की लेकिन असफल रहे तभी से उन दोनों ने ही इन्हें देवों के देव महादेव के रूप में स्वीकार किया। एक और कथा के अनुसार शिवरात्रि के दिन ही 64 ज्योतिर्लिंग एकसाथ विभिन्न जगहों पर प्रकट हुए थे। माना जाता है कि शिवरात्रि का व्रत सभी कामनाओं की पूर्ति करने वाला होता है।