सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है
देखना है ज़ोर कितना बाज़ू-ए-क़ातिल में है
उन शहीदों को शत शत नमन जो अपने परिवार से बढ़कर देश की सेवा के लिए हमेशा तैयार रहते है | ये वो है जिनके सरहद पर होने से हम चैन की नींद सो सकते है | ये वो है जिनके सरहद पर होने से हम हर त्यौहार खुशी ख़ुशी अपने परिवार के साथ मना सकते है | इनके जन्मदाता को शत शत नमन जो अपने नौजवान बेटे के अंदर देश भावना का जज्बा भरते है और देश की सेवा के लिए हस्ते हस्ते धरती माँ की रक्षा के लिए भेज देते है | दुनिया में ऐसे कौन से माँ बाप है जो अपनी संतान को मौत के मुँह में हस्ते हस्ते भेजते है| ऐसे हौसले वाले माँ बाप को अनगनित बार नमन नमन नमन
बाप बेटे की जोड़ी – एक अनोखा देश प्रेम
इसका सब से उदहारण है लेफ्टनंट जनरल ए एल ऑल जो की 1999 में हुए इस कारगिल युद्ध में लेफ्टिनेंट जनरल और 56 माउंटेन ब्रिगेड के कमांडर थे.और उन्होंने अपने बेटे अमित कौल को भी इंडिया आर्मी में भर्ती करवाया ये वो मिसाल है शायद पहले किसी ने देखी नहीं होगी | बाप बेटे दोनों ने मिलकर कारगिल के इस प्रोग्राम में हिस्सा लिया और कारगिल जिले के द्रास कस्बे में युद्ध से जुड़ी हुई यादों को ताजा किया | शहीद हुए कारगिल सैनिकों को श्रद्धांजलि भी दी
सच्ची श्रद्धांजलि
आज से सही 20 साल पहले 26 जुलाई 1999 को कारगिल युद्ध में भारत के जवानों ने पाकिस्तान को धूल चटाने का काम किया था जिसको कोई भी अपने दिल से आज तक भुला नहीं पाया है | उस जीत के बाद इसको कारगिल विजय दिवस का नाम दिया गया जो की हर साल जवानो के साथ साथ उनके परिवार और देश का गौरव बढ़ने का काम किया जिससे हर किसी के अंदर जोश भरा रहता है | देश पर पल में अपनी जान नौछावर करने वाले वीर जवानों के किये नमन ही सच्ची श्रद्धांजलि है |
कभी लोट के ना आने वाले वीर सपूत
ये दिन भारत देश के लिए बेहद गौरवमई दिन था | भारतीय सेना ने पाकिस्तान को धूल चटा कर कारगिल युद्ध में विजय हासिल की थी | इस जीत ने हमारे देश के कई सैनिकों कैप्टन विक्रम बत्रा, योगेंद्र यादव जो की महज 19 साल के थे, संजय कुमार, कैप्टन मनोज कुमार पांडे जैसे वीर सपूतों को हम से सदा के लिए छीन लिया | इस युद्ध में हिस्सा लेने वाला हर एक जवान अपने आप में हीरो हैं जिन्होंने पाकिस्तान के हौसले परास्त करके भारत का नाम रोशन किया | सभी जवानो को परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया |