फगवाड़ा के 83 वर्ष की उम्र में मास्टर्स की डिग्री हासिल करके सोहन सिंह गिल ने यह साबित कर दिया है कि सीखने में कभी देर नहीं होती है और पढ़ने की कोई उम्र नहीं होती है।लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी में आयोजित वार्षिक दीक्षांत समारोह में उन्हें मास्टर की डिग्री से सम्मानित किया गया।वह 61 साल से मास्टर की पढ़ाई पूरी करना चाहते थे। वह साल 2017 में रिटायर हो गए। रिटायरमेंट के बाद गांव में बैठे-बैठे अधूरी ख्वाहिश पूरी करने का विचार आया।इसे पूरा करने के लिए पत्नी जोगिंदर कौर ने भी हौसला दिया | बेटा अमेरिका में बतौर इंजीनियर सेटल है। वहां से बेटे ने भी हिम्मत बढ़ाई।
सोहन सिंह के जीवन पर एक नज़र
सोहन सिंह गिल का जन्म 15 अगस्त, 1936 को जिला होशियारपुर के गांव दात्ता कोट फतूही में हुआ था। उन्होंने प्राइमरी स्कूल पंडोरी गंगा सिंह में पहली से तीसरी कक्षा, मिडिल स्कूल खैरड अच्छरवाल में 6वीं उर्दू की पढ़ाई की।खालसा हाईस्कूल माहलपुर में 1953 में दसवीं कक्षा पास की,जिसके बाद श्री गुरु गोबिंद सिंह खालसा स्कूल माहिलपुर में चार वर्षों की 1957 में बीए पास की। उसके बाद 1957-58 में बैचलर टीचिंग खालसा कॉलेज अमृतसर से की. उस समय बीएड नहीं हुआ करता था।
लेक्चरर रहे पंजाब के जिला होशियारपुर के सोहन सिंह गिल ने 83 साल की उम्र में एमए इंग्लिश की डिग्री हासिल कर इसी जज्बे का परिचय दिया है।वह पूर्वी अफ्रीकी केन्या में शिक्षा के क्षेत्र में 33 साल तक सेवाएं देकर देश लौटे और फिर यहां की लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी से पढ़ाई करके अपनी 61 साल पुरानी इच्छा पूरी की।इस साल उन्हें लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह में मास्टर की डिग्री हासिल की।आपको बता दें, होशियारपुर के सोहन सिंह इंटरनेशनल हॉकी में ग्रेड अपांयर भी रहे हैं।उन्होंने केन्या हॉकी अंपायर्स एसोसिएशन में 6 साल काम किया और उसके सचिव पद पर भी रहे।
कोस्ट हॉकी एसोसिएशन के चेयरमैन के दौर पर भी उन्होंने अपनी सेवाएं दी हैं। सोहन सिंह कहते हैं कि 1958 में केन्या के लिए वीजा खुला था। तब वे अपने साडू सेवा सिंह बड़ैच के साथ वहां चले गए थे। उस समय चार रुपये किराया हुआ करता था। वाइस प्रिंसिपल वरियाम सिंह कहते थे कि एमए इंग्लिश लें। उनके मन में भी इंग्लिश में एमए की डिग्री लेने की इच्छा थी। ऐसे में केन्या में रहते हुए भी एमए इंग्लिश के सपने आते थे।एक तरह से अधूरी ख्वाहिश का सपना रह रहकर सताता था।
रिटायरमेंट के बाद देश लौटेने पर यहां के स्कूलों में पढ़ाया।
10 अक्टूबर को 1958 में समुद्री जहाज से वह केन्या के लिए रवाना हो गए।18 अक्टूबर मुंबासा (केन्या) पहुंचे। दो महीने नवंबर-दिसंबर रेस्ट किया जिसके बाद इंडियन प्राइमरी स्कूल में नौकरी मिली।केन्या में उस समय 7वीं तक प्राइमरी हुआ करती थी, जो अब बढ़कर 8वीं तक हो गई है। उन्होंने 6 सालों तक प्राइमरी स्कूल में पढ़ाया, दो साल मिडिल स्कूल में पढ़ाया और उसके हेड मास्टर बने। उसके बाद टीचर कॉलेज केन्या में 25 सालों तक सेवाएं दी।31 अगस्त 1991 में वे रिटायर हुए और फिर तीन अक्टूबर, 1991 को वापस भारत लौट आए।आपके ध्यान के लिए बता दें, सोहन सिंह गिल हॉकी और फुटबॉल के कॉलेज टाइम से ही खिलाड़ी रहे हैं।वे इंडियन हॉकी टीम के कैप्टन जरनैल सिंह के साथ भी खेल चुके हैं।
देश लौटने पर उन्होंने 15 सालों तक बिंजो पब्लिक स्कूल, पांच साल संत बाबा भाग सिंह पब्लिक स्कूल बिंजो में अंग्रेजी पढ़ाई।उनके पढ़ाए हुए बच्चे 94 फीसदी तक अंक लाते थे. साल 2017 में उन्होंने पढ़ाना छोड़ दिया था। रिटायरमेंट के बाद 28 साल गांव में रहते हुए उन्होंने गांव में ही गुरुद्वारा साहिब का निर्माण करवाया और वहां की सेवा भी संभाली।
आज वह मास्टर की डिग्री हासिल करके काफी खुश है। एक स्वस्थ जीवन शैली और सकारात्मक सोच ने उन्हें आगे बढ़ाया है। उनका कहना है जो मैं चाहता था वो पूरा कर लिया है, अब मैं बच्चों के लिए किताबें लिखना चाहता हूं।