जैसे की हम बचपन से ही पढ़ते आये है जनसँख्या विस्फोट क्या है इसके क्या परिणाम है इसको रोकने के क्या उपाए है| हम सब बढ़ती आबादी के दुष्परिणामों से भलीभांति परिचित है | देश में ऐसे कई पिछड़े क्षेत्रों में अभी भी जागरूकता की जरूरत है। विश्व जनसंख्या दिवस हर साल 11 जुलाई को निर्धारित किया है तांकि इस दिन लोगो में जागरूकता लाई जा सके। भारत में अति पिछड़ाकरण होने के कारण इस समस्या से निपटने में मुशिकल आ रही है |
रूढ़िवादी सोच की जनसख्या
एक परिवार में पहले 10 से 15 बच्चे होते थे और लोगो में ये धारणा और रूढ़िवादी सोच थी कि जितने बच्चे उतनी घर में कमाई पर उन्हें ये क्या पता की ये महज गरीबी, रोजगार और अन्य संबंधित मुद्दों को ही सामने ला कर खड़ा कर रही थी| वैसे अब ये सिर्फ पिछड़ी जनजाति की धारणा में देखा जा सकता है जो लोग गांव से सम्बन्ध रखते है और इसके दुष्परिणाम से वाकिफ नहीं है | जैसे जैसे साइंस ने तरक्की की है वैसे वैसे इस धारणा का अंत होता जा रहा है|
कैसे हो समस्या का हल
जनसँख्या वृद्धि के लिए जागरूक करके रोक लगाना एक या दो का काम नहीं है बल्कि हम लोगो को सामूहिक रूप से प्रयास करना पड़ेगा और इसके लिए दुनिया के हर एक व्यक्ति को इसके प्रति जागरूक करना पड़ेगा | सबसे पहले अपने आप में जागरूकता लानी बहुत जरुरी है एक परिवार में छोटा सा अंतर बहुत बड़ा बदलाव ला सकता है | इस प्रकार हम सरकार की “छोटा परिवार सुखी परिवार” की योजना के लाभ लोगो को बता कर लोगो को जागरूक कर सकते है और इस पर रोक लगा सकते है
परिणाम क्या होंगे
जितना परिवार बड़ा होगा उतने संसाधनों की जरुरत बढ़ेगी | भोजन, कपडा, घर, आने जाने के साधन इत्यादि सभी चीजों की मांग बढ़ जाएगी जिस के लिए सभी को संघर्ष करना पड़ेगा क्योंकि आने वाले समय में हम जो वस्तु वहन करेंगे उसकी कमी जरूर आएगी जिस से अपराध बढ़ेंगे और हवा पानी सभी संकट घेर कर खड़े हो जायेंगे|
एक विश्लेषण के आधार पर
विश्लेषण के आधार पर देखा गया है कि छोटे परिवार बड़े परिवारों की तुलना में अधिक खुश पाए गए है| बड़े परिवारों की तुलना में छोटे परिवार संतोष और शांतिपूर्ण जीवन व्यतीत कर रहे है| इस समय वैश्विक जनसंख्या 7.5 बिलियन है। दरअसल, यह हम सभी के लिए चिंता का एक गंभीर कारण है। आज के दौर में हममे प्रतिस्पर्धी तो बढ़ रही है हम कई लोगों को जानते हैं, लेकिन हम समझते किसी को भी नहीं वर्ष 2018 में विश्व जनसंख्या दिवस पर एक स्लोगन “परिवार नियोजन एक मानव अधिकार है” दिया गया जिसका उद्देश्य जनसँख्या गिनती और उसके नियंत्रित पर ध्यान केंद्रित करना है।
विश्व जनसंख्या दिवस के कुछ और उद्देश्य
सरकार द्वारा समय समय पर योजनाओं का आयोजन किया जाता है जिसमे लोगों को प्रजनन स्वास्थ्य देखभाल के बारे में जागरूक किया जाता है | इसमें महिलाओं को ज्ञान की कमी के कारण खराब प्रजनन और स्वास्थ्य के मुद्दे के बारे में बताया जाता है | आंकड़ों के अनुसार प्रसव के दौरान हर रोज 800 महिलाओं की मौत हो जाती है। इसलिए सरकार का प्राथमिक उद्देश्य प्रजनन स्वास्थ्य के बारे में जागरूकता करना और परिवार नियोजन के महत्व को समझना है। इसका उद्देश्य यौन शिक्षा, परिवार नियोजन, बाल विवाह, गर्भ निरोधकों का उपयोग, लिंग समानता, यौन संचारित रोगों के बारे में ज्ञान और जनसंख्या वृद्धि में मानव अधिकारों का हनन इत्यादि के बारे में जागरूक किया जाता है |
* लड़कों और लड़कियों दोनों में प्राथमिक ज्ञान प्राप्त करना।
* युवाओं को शिक्षित करना तांकि वो कम उम्र में अवांछित गर्भावस्था से बचने सके ।
* समाज से लड़का लड़की एक समान वाली धारणा को समझाना ।
* रूढ़िवादी विचार जैसे अधिक हाथों का मतलब अधिक कमाई था से जागरूक करवाना ।
दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश चीन “वन चाइल्ड पॉलिसी” लेकर आया था। जिस को भारत में भी फॉलो किया जा रहा है|