सुप्रीम कोर्ट से टेलीकॉम कंपनियों को बड़ा झटका

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Supreme court

वसूले जायेंगे 92 हज़ार करोड़ रुपए

टेलीकॉम कंपनियों को एडजेस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (एजीआर) मामले में सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। मामले में दायर पुनर्विचार याचिका को उच्चतम न्ययालय ने गुरुवार को खारिज कर दिया है। इसके साथ ही अब आइडिया, भारती एयरटेल और वोडाफोन कंपनी को 92,000 करोड़ रुपये चुकाने होंगे। बता दें कि एडजेस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू मामले में 24 अक्टूबर को दिए सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ तीनों कंपनियों ने पुनर्विचार याचिका दायर की थी। याचिका में जुर्माना, ब्याज और जुर्माने पर लगाए गए ब्याज पर छूट देने का अनुरोध किया गया था जिसे कोर्ट ने मामने से इनकार कर दिया।

गौर करने वाली बात है कि टेलीकॉम कंपनियों को सुप्रीम कोर्ट ने 92 हजार रुपये से ज्यादा का बकाया और लाइसेंस फीस केंद्र सरकार को देने का आदेश दिया था। दूरसंचार विभाग की याचिका को मंजूर करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बकाया चुकाने के लिए कंपनियों को 3 महीने की मोहलत दी थी जो इसी 23 जनवरी को पूरी हो रही है। कोर्ट ने कहा कि AGR में लाइसेंस फीस और स्पेक्ट्रम उपयोग के अलावा अन्य आय भी शामिल हैं।

जाने एजीआर के बारे में

टेलीकॉम कंपनियों को एजीआर का 3% स्पेक्ट्रम फीस और 8% लाइसेंस फीस के तौर पर सरकार को देना होता है। कंपनियां एजीआर की गणना टेलीकॉम ट्रिब्यूनल के 2015 के फैसले के आधार पर करती थीं। ट्रिब्यूनल ने उस वक्त कहा था कि किराए, स्थायी संपत्ति की बिक्री से लाभ, डिविडेंड और ब्याज जैसे नॉन कोर स्त्रोतों से प्राप्त रेवेन्यू को छोड़ बाकी प्राप्तियां एजीआर में शामिल होंगी। विदेशी मुद्रा विनिमय (फॉरेक्स) एडजस्टमेंट को भी एजीआर में माना गया। हालांकि फंसे हुए कर्ज, विदेशी मुद्रा में उतार-चढ़ाव और कबाड़ की बिक्री को एजीआर की गणना से अलग रखा गया। दूरसंचार विभाग किराए, स्थायी संपत्ति की बिक्री से लाभ और कबाड़ की बिक्री से प्राप्त रकम को भी एजीआर में मानता है। इसी आधार पर वह टेलीकॉम कंपनियों से बकाया फीस की मांग कर रहा था।

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